देश के 85 प्रतिशत युवा सोकर उठते ही महसूस करते हैं थकान
युवाओँ में थकान एक बड़ी समस्या बन गई है। सोकर उठते ही 85 प्रतिशत युवा थकान महसूस करते हैं। इसका प्रमुख कारण उनके आहार में मल्टी विटामिन और माइक्रोन्यूट्रिएंट्स की कमी है।
रामकुमार शर्मा
मुंबई। माना यह जाता है कि सोने के बाद व्यक्ति की थकान दूर हो जाती है और वह तरोताजा महसूस करता है। भारत में इसके उलट हो रहा है। हमारे देश में 85 प्रतिशत युवा जब सुबह सोकर उठते हैं तो थकान से भरे होते हैं।
यह तथ्य बेयर कंज्युमर हेल्थ डिवीजन द्वारा देश के दस बड़े शहरों में कराये गए युवाओं के सुप्राडिन फटीग सर्वे से सामने आया है।हंस रिसर्च ग्रुप द्वारा किए गए इस सर्वे में पता चला कि भारत जैसा देश जिसमें युवाओँ की बड़ी संख्या है, वे थकान की समस्या का सामना कर रहे हैं।
96 प्रतिशत युवाओं के आहार में माइक्रोन्यूट्रिएंट और मल्टीविटामिन वाले खाद्य पदार्थों का शामिल न किए जाना इसका प्रमुख कारण है। सर्वे में यह भी पता चला कि 25 से 45 आयु वर्ग के युवाओँ में से 83 प्रतिशत को थकान के कारण बार बार काम से ब्रेक लेना पड़ता है।
74 प्रतिशत को काम के दौरान नींद के झोंके आते हैं, जिसका असर उनकी प्रोडक्टिविटी पर पड़ता है। 69 प्रतिशत युवाओं को आलस्य और थकान के कारण दिए गए टास्क को शुरू करने और पूरा करने में परेशानी होती है।
पुणे जैसे मेट्रो शहर में 57 प्रतिशत, बेंगलूरू में 59 प्रतिशत युवा महसूस करते हैं कि उनकी डाइट में माइक्रोन्यूट्रिएंट्स की कमी है।
मुंबई के सीनियर कंसलटेंट फिजीशियन प्रो. डा. केतन मेहता का कहना है कि देश के युवाओं में बढ़ती थकान की समस्या देश के लिए और चिकित्सकों के लिए भी चिंता का विषय है। इसका सीधा असर प्रोडक्टिविटी पर पड़ता है।
डा. मेहता का कहना है कि भोजन से केवल 70 प्रतिशत माइक्रोन्यट्रिएंट्स ही मिल पाते हैं। शरीर को 100 प्रतिशत माइक्रोन्यूट्रिएंट्स की जरूरत होती है। इस गैप को मल्टीविटामिन दवा लेकर पूरा किया जा सकता है।
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