शहर की हजारों जूता इकाइयों से हर रोज निकलता है 45 टन वेस्ट

शहर में आयोजित एक कार्यक्रम में विशेषज्ञों ने इस बात पर मंथन किया कि आगरा की जूता इकाइयों से निकटने वाले वेस्ट का निस्तारण कैसे किया जाए।

Sep 3, 2024 - 11:27
Sep 3, 2024 - 14:20
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शहर की हजारों जूता इकाइयों से हर रोज निकलता है 45 टन वेस्ट
जूता इकाइयों के वेस्ट को लेकर होलीडे इन में आयोजित कार्यक्रम में मौजूद अतिथि।

आगरा। महानगर में जूता उद्योग से जुड़ी ऐसी 6821 इकाइयां हैं, जिनसे हर रोज जूता के निर्माण में प्रयुक्त होने चमड़े की कतरन निकलती है। शहर में जूता इकाइयों से रोजाना 45 टन वेस्ट जनरेट होता है। कतरन के वेस्ट का निस्तारण कैसे हो, इस पर एक कार्यक्रम में मंथन किया गया। 

सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट का एक कार्यक्रम होटल हॉलिडे इन में आयोजित किया गया। यह जूता उद्योग से निकलने वाले कतरन के निस्तारण पर आधारित था,  जिसमें प्रोग्राम डायरेक्टर अतिन बिस्वास, सिद्धार्थ घनश्याम सिंह, कुलदीप चौधरी, अनिकेत चंद्र, जूता उद्योग से जुड़ी संस्था जूता दस्तकार फेडरेशन के अध्यक्ष अभिकाम सिंह पिपल, एमएसएमई के डिप्टी डाइरेक्टर ब्रजेश यादव, सीएफटीआई के निदेशक सचिन राजपाल, एफमेक के अध्यक्ष पूरन डावर, अस्मा के अध्यक्ष ओपिन्दर सिंह लवली ने अपने-अपने सुझाव रखे कि इस वेस्ट का निस्तारण किस तरह से किया जा सकता है। 

नगर निगम के पर्यावरण अभियंता पंजक भूषण ने यह समझाया कि कैसे जूता उद्योग की कतरन का निस्तारण कर हम शहर के पर्यावरण को सुरक्षित करने में योगदान दे सकते हैं। एसबीएम के सह प्रभारी के सुदेश यादव, एनएसआईसी प्रबंधक पुष्पेन्द्र सूर्यवंशी, बीएम के प्रोजेक्ट मैनेजर कृष्ण कांत पाण्डेय के अलावा जूता दस्तकार फेडरेशन के विश्वजीत सिंह, दिनेश कुमार, लेखपाल सिंह, राजेश तित्तल, शिश कपूर आदि ने भी अपने सुझाव दिए। 

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SP_Singh AURGURU Editor