VIDEO NEWS : हुजूर, मजदूर हूं, मजबूर हूं! दिवाली काली मगर भूखे मजदूरों का ये 'खाली कनस्तर धमाका' जोरदार है

आगरा। आगरा की कुछ कंपनियों के लिए संकेत अच्छे नहीं हैं। लगता है जैसे उन्होंने मजदूरों को मजबूर समझकर गलती कर दी। पांच फैक्ट्रियों के 250 भूखे पेट मजदूर जिला मुख्यालय पर खाली कनस्तर बजाकर प्रशासन से न्याय मांग रहे थे। श्रमिकों ने लगातार आठ घंटे बाद खाली कनस्तर बजाने तभी बंद किए जब प्रशासन के स्तर से एक्शन हो गया। प्रशासन ने एक फैक्ट्री पर ताला डाल दिया तो दूसरी फैक्ट्री के खिलाफ रिकवरी सर्टिफिकेट जारी कर दिया। एक अन्य फैक्ट्री के खिलाफ अभियोजन चलाने की अनुमति भी दे दी गई।

Oct 30, 2024 - 22:48
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शहर की इन पांच फैक्ट्रियों के ढाई सौ मजदूरों की पीड़ा सुनने के बाद जिलाधिकारी अरविंद मलप्पा बंगारी ने सख्त रुख अपनाया है। उन्होंने श्रमिकों को भरोसा दिया है कि 15 दिन का इंतजार करें। दो हफ्ते बाद श्रमिकों से संबंधित सभी विभागों की बैठक बुलाकर उनकी समस्याओं का स्थाई समाधान करेंगे।

जिन पांच फैक्ट्रियों के श्रमिक दीपोत्सव पर खाली कनस्तर बजाने को मजबूर हुए, वे हैं- बैनारा बियरिंग पिस्टन की यूनिट फर्स्ट और सेकंड, जगदीश मेटल वर्क्स नूनिहाई, विनय आईरन फाउंड्री और बैनारा ऑटोज। श्रमिक पिछले 11 जून से शहीद स्मारक पर अपनी मांगों को लेकर धरना दे रहे थे।

इन श्रमिकों का नेतृत्व कर रहे चौधरी दिलीप सिंह ने बताया कि श्रमिकों के वेतन से ईएसआई और प्रोविडेंट फंड काटा जा रहा है, लेकिन संबंधित विभागों में जमा नहीं हो रहा है। श्रमिकों को वेतन भी चार-चार पार्ट में दिया जा रहा है। कई साल से बोनस नहीं दिया जा रहा। जो कर्मचारी रिटायरमेंट की उम्र पार कर चुके हैं, उन्हें इसीलिए रिटायर नहीं किया जा रहा क्योंकि फैक्ट्री मालिकों को उनके देयों का भुगतान करना पड़ेगा। 

चौधरी दिलीप सिंह के अनुसार पिछले साढ़े चार महीने के आंदोलन के दौरान श्रमिक मंडल आयुक्त, जिलाधिकारी, श्रम उपायुक्त समेत सभी संबंधित विभागों के अधिकारियों से मिले लेकिन हर बार आश्वासन के अलावा कुछ नहीं मिला। संघर्ष करते-करते दीपावली का त्यौहार आ गया। अब नौबत यह है कि दीपोत्सव पर इन 250 श्रमिकों के कनस्तर खाली हैं। ये अपने बच्चों को दीपावली की खुशियां नहीं दे पाएंगे, क्योंकि इसके  लिए इनके पास पैसे नहीं हैं। 

इन 250 श्रमिकों ने कल धनतेरस पर आर-पार की लड़ाई का संकल्प लेकर जिला मुख्यालय पर डेरा डाल दिया। यह श्रमिक अपने हाथों में नारे लिखी तख्तियों के अलावा खाली कनस्तर लिए हुए थे। श्रमिकों ने दोपहर 12:30 बजे के बाद कलक्ट्रेट में जिलाधिकारी कार्यालय के सामने खली कनस्तर बजाना शुरू किया जो रात 8:30 बजे तभी बंद हुआ जब जिलाधिकारी के स्तर से इस मामले में एक्शन ले लिया गया।

श्रमिकों की मांग थी कि जिलाधिकारी स्वयं आकर उनकी बात सुनें। इस अनूठे आंदोलन से प्रशासनिक अधिकारियों के भी हाथ पांव फूले हुए थे। एडीएम प्रशासन, एडीएम सिटी सिटी,  मजिस्ट्रेट और एक एसीएम लगातार आंदोलनरत श्रमिकों से बात कर रहे थे। उधर श्रमिक इस बात पर अड़े रहे कि जब तक ठोस कार्रवाई नहीं होती, वे यहीं जमे रहेंगे। श्रमिकों ने अधिकारियों से यह भी कह दिया अगर उनके आंदोलन से प्रशासन को कोई परेशानी है तो उन्हें जेल भेज दे। 

दिन भर चली वार्ताओं के के बाद अंत में जिलाधिकारी ने सख्त रुख अपनाया। श्रमिकों के तमाम लंबित देयों की वजह से जगदीश मेटल वर्क्स पर प्रशासन ने ताला डलवा दिया। इसी प्रकार बैनारा और बेयरिंग पिस्टन पर 8.44 लाख की देनदारी को देखते हुए श्रम विभाग की ओर से इस फैक्ट्री के खिलाफ आरसी जारी कर दी गई और इसे तहसीलदार को रिसीव भी करा दिया गया। 

बैनारा बियरिंग पिस्टन प्रबंधन तथा श्रमिकों के बीच बीते जून माह में मांगों को लेकर एक समझौता हुआ था, जिसे फैक्ट्री प्रबंधन ने बाद में पूरा नहीं किया। श्रमिकों की शिकायत पर श्रम विभाग इस फैक्ट्री के खिलाफ अभियोजन चलाने के लिए जिलाधिकारी से अनुमति मांग रहा था, लेकिन पिछले जिलाधिकारी के स्तर से यह अनुमति नहीं मिली। वर्तमान जिलाधिकारी ने इस मामले में अभियोजन चलाने की अनुमति भी श्रम विभाग को हाथोंहाथ दे दी। 

जिलाधिकारी के स्तर से उठाएंगे त्वरित कदमों और एक्शन से संबंधित कागजातों को देखने के बाद ही श्रमिकों ने रात 8:30 बजे खाली कनस्तर बजाने बंद किए। इसके बाद ही दोपहर से ही कलक्ट्रेट में जमे चार वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी भी अपनों घरों को जा सके। 

श्रमिकों ने अपने इस अनूठे आंदोलन से भले ही प्रशासन को झकझोर दिया हो, लेकिन फिर भी इन मजदूरों के परिवार में दिवाली की खुशियां नहीं होंगी क्योंकि जेब तो खाली ही है।

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SP_Singh AURGURU Editor